Saturday 3 October 2015

बदनाम हो गए,बेनाम हो गए--जमीॅ पे जो थिरके कदम,हम जमाने से परेशान हो गए--

बेडियो को तोडने की कोशिश मे,सलामती के लिए मजबूर हो गए---हाथ जो उठाए दुआ

के लिए,काॅपते लबो से किसी की रात के अरमान बन गए---उलझे सवालो मे उलझ कर

,साॅसो को जिसम से निकालने की कोशिश मे-हम मशहूर हो गए----

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...