आज ना तेरी राहो मे है,ना तेरी बाहो मे है---कुदरत के बनाए जाल मे,आज किसी और
की पनाहो मे है---किसमत के इस मजाक पे,कभी राजी है तो कभी तनहाॅ है---तुझे ढूढने
की खवाहिश मे,दर ब दर भटकते है--किसी मोड पे तू आवाज लगा दे,इस आस मे यह
साॅसे अब भी जिनदा है----
की पनाहो मे है---किसमत के इस मजाक पे,कभी राजी है तो कभी तनहाॅ है---तुझे ढूढने
की खवाहिश मे,दर ब दर भटकते है--किसी मोड पे तू आवाज लगा दे,इस आस मे यह
साॅसे अब भी जिनदा है----