Thursday 1 October 2015

आज ना तेरी राहो मे है,ना तेरी बाहो मे है---कुदरत के बनाए जाल मे,आज किसी और

की पनाहो मे है---किसमत के इस मजाक पे,कभी राजी है तो कभी तनहाॅ है---तुझे ढूढने

की खवाहिश मे,दर ब दर भटकते है--किसी मोड पे तू आवाज लगा दे,इस आस मे यह

साॅसे अब भी जिनदा है----

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...