उन आॅखो मे ना जाने कितना दरद देखा,कि हम अपना दरद ही भूल गए---दरद मे
लिपटी उस की कहानी सुन कर,हम अपनी दरदे-दासताॅॅ ही भूल गए---खुद की चाहत तो
कभी ना पा सके हम,पर चाहत उस की लौटा कर जो सकून पाया हम ने--उस सकून मे
हम अपनी कहानी ही भूल गए------
लिपटी उस की कहानी सुन कर,हम अपनी दरदे-दासताॅॅ ही भूल गए---खुद की चाहत तो
कभी ना पा सके हम,पर चाहत उस की लौटा कर जो सकून पाया हम ने--उस सकून मे
हम अपनी कहानी ही भूल गए------