चेहरेे का नूर देखा,तो उनहे हम से पयार हो गया--उलझनो को छोड पीछे,किसी गुफतगू
मे इकरार हो गया----सपनो के ताने-बाने बुने,इक खूबसूरत सा सॅसार बन गया--ढलती
रही---ढलती रही वो शाम,और मुकददऱो का मिलना शाहे गुलजाऱ हो गया----
मे इकरार हो गया----सपनो के ताने-बाने बुने,इक खूबसूरत सा सॅसार बन गया--ढलती
रही---ढलती रही वो शाम,और मुकददऱो का मिलना शाहे गुलजाऱ हो गया----