Monday 24 August 2015

सजदे जो किए तेरी मुहबबत मे हम ने--वकत खामोशी से गुजऱ गया---तुझे पाने की

खवाहिश मे उमर का वो खूबसूरत लमहा भी गुजऱ गया----हा मुहबबत की कोई उमर

नही होती--वो पाक होती है गर,खुदा की नियामतो को भी खीच लाती है--बैठे है राहो मे

-बेशक साथ रहने का वो लमहा,फिर चुपके से  आज गुजर गया-------

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...