सजदे जो किए तेरी मुहबबत मे हम ने--वकत खामोशी से गुजऱ गया---तुझे पाने की
खवाहिश मे उमर का वो खूबसूरत लमहा भी गुजऱ गया----हा मुहबबत की कोई उमर
नही होती--वो पाक होती है गर,खुदा की नियामतो को भी खीच लाती है--बैठे है राहो मे
-बेशक साथ रहने का वो लमहा,फिर चुपके से आज गुजर गया-------
खवाहिश मे उमर का वो खूबसूरत लमहा भी गुजऱ गया----हा मुहबबत की कोई उमर
नही होती--वो पाक होती है गर,खुदा की नियामतो को भी खीच लाती है--बैठे है राहो मे
-बेशक साथ रहने का वो लमहा,फिर चुपके से आज गुजर गया-------