वो ननहे से लमहे,कब बन गए मेरी जिनदगी-मुझे पता ही नही चला---फिऱ वही जिॅदगी
कब मुझ से जुदा हो गई,मुझे खबर तक ना लगी----पलके खुली फिर कब बनद हो गई--
यह अधूरी सी शाम,कब ढल गई रात मे---यादो के झुरमट मे इतने खोए कि पता ही
नही चला-------
कब मुझ से जुदा हो गई,मुझे खबर तक ना लगी----पलके खुली फिर कब बनद हो गई--
यह अधूरी सी शाम,कब ढल गई रात मे---यादो के झुरमट मे इतने खोए कि पता ही
नही चला-------