Saturday 9 May 2015

हम कहते रहे पयार करते है तुमहे  बेइनितहाॅ बेइनितहाॅ----कैसे जी पाए गे तेरे

बिना -तेरे पयार का कहा शुकरीया------बहारे भर ली है दामन मे हम ने,तुमहारे आने से

----बरसाते थम गई है तेरे घर आने से---यू ही नही गुजारे हम ने यह बरस तेरे इनतजाऱ

मे---कभी रोए कभी तडपे,भीग गई पलके तेरी ही जुदाई मे--अब आए हो तो जाना नही

कि यह बहारे थम जाए गी,तेरे चले जाने से-----------

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...