रासते मे बिछी धूल जैसे नही है हम--इमितहान मेरी मुहबबत के कितने भी लो--तैयार
है हम---जिनदगी केे हर थपेडे को भी सहने के लिए तैयार है हम---धन दौलत की
चकाचौॅध को भी तेरे लिए छोड दे गे हम--तेरी बाहो मे दम तोडे-यह खवााहिश भी रखते
है हम--पर मेरा वजूद तू बिलकुल ही मिटा दे--यह तो कभी भी ना होने दे गे हम------
है हम---जिनदगी केे हर थपेडे को भी सहने के लिए तैयार है हम---धन दौलत की
चकाचौॅध को भी तेरे लिए छोड दे गे हम--तेरी बाहो मे दम तोडे-यह खवााहिश भी रखते
है हम--पर मेरा वजूद तू बिलकुल ही मिटा दे--यह तो कभी भी ना होने दे गे हम------