Wednesday, 13 May 2015

काजल नही-गजरा नही,कलाइयो मे कही कॅगन भी नही----ना माथे पे बिॅदिया है--ना

पाॅव मे पायल है कही--फिर भी महकता हुआ नूऱे-हुसन हैै-इनतजाऱ मे तेरे-----खबर

आई है फिजाओ से कही---तुम आ रहे हो हवाओ मे दूर तक खुशबू बिखरी है कही-----

इबादत करे तेरी या सजदा करे कदमो मे तेरे--दिल है कि तेरी हर खुशामदी पे आमदा है

कही-------

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...