गुरबत के शिॅकजे मे भी रह कर-तेरी मुहबबत के दिए जलाना नही भूले---हर याद को
सीने मे समेटे-तेरी किसी बात को नही भूले---दौलत शोहरत का साथ नही पाया-पर इस
जिनदगी के अनदाज को मन से जीना नही भूले----हर वो छोटी सी खुशी जो तेरे मेेरे
दरमयान रही-उस का जशन मनाना आज भी नही भूले----दुनियाॅ की नजऱो मे हम कुछ
भी नही-पर तुम मेरे शहनशाह हो य़ह बात खुद की मुमताज को बताना नही भूले---
सीने मे समेटे-तेरी किसी बात को नही भूले---दौलत शोहरत का साथ नही पाया-पर इस
जिनदगी के अनदाज को मन से जीना नही भूले----हर वो छोटी सी खुशी जो तेरे मेेरे
दरमयान रही-उस का जशन मनाना आज भी नही भूले----दुनियाॅ की नजऱो मे हम कुछ
भी नही-पर तुम मेरे शहनशाह हो य़ह बात खुद की मुमताज को बताना नही भूले---