Sunday 17 May 2015

बेवजह मुसकुराने की वजह ना बताए गे तुमहे--यह ऱाजे दिल के जजबात है ना बताए

गे तुमहे---फुरसत के लमहो मे तुम पास बैठो तो सही--जो टूट टूट कर बिखऱ गए उन

सपनो का जिकरे-हाल ना बताए गे तुमहे----मिलते है जब कभी तुम से-उन गुफतगू के

लमहो को सीने मे छिपाए रखते है हम--पर जिन दिनो के बेइनतहाॅ दरद से गुजरे है हम

उन का हाल कभी ना बताए गे तुमहे-----

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...