Sunday, 31 May 2015

बजा फरमाया मेरे हजूर---यह कह कर वो मेरी जिनदगी से रूखसत हो गए---हजारो

हसरतो का तूफान मुझे दे कर वो अपनी नई दुनिया मे फना हो गए------मेरे अरमान --

मेरी यह रूह तेरी जागीर तो नही -- चनद सिकको के लिए जमीर का सौदा नही कर पाए

हम-तेरी ऱजा मे खुद को दफना नही पाए हम--

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...