खामोशिया बहुत चुपके से गुफ़तगू कर जाती है----सरगोशियां हलके से दिल को हिला जाती है---लब
थरथराए इस से पहले मुहब्बत इशारो को जान जाती है---खुले गेसू जब तल्क़ यह रात गहरा जाती है--
इम्तिहान ना ले मेरी वफाओ के इतने कि साँसे कभी कभी यूं ही दम तोड़ जाती है---कलाइयों की यह
चूड़िया सजने के लिए बहुत बेताब होती है---तू माने या ना माने प्यार की यह इल्तज़ा कभी कभी मंज़ूर
भी हो जाती है---
थरथराए इस से पहले मुहब्बत इशारो को जान जाती है---खुले गेसू जब तल्क़ यह रात गहरा जाती है--
इम्तिहान ना ले मेरी वफाओ के इतने कि साँसे कभी कभी यूं ही दम तोड़ जाती है---कलाइयों की यह
चूड़िया सजने के लिए बहुत बेताब होती है---तू माने या ना माने प्यार की यह इल्तज़ा कभी कभी मंज़ूर
भी हो जाती है---