Sunday 7 August 2016

पलके ना गिरा..आॅखे ना झुका...हाथो को दुपटटे मे ना छिपा....धडकने दिल की

सॅभालने के लिए,बॅद दरवाजो मे ना जा...ऐ नूरेेे-जहाॅ मेरी..बस अब तडप के मेरी बाहो

मे आ...मिलन की घडिया अब रह गई थोडी,मेेरी पाक मुहबबत को आजमायश की

परतो मे ना जला...महजबीॅॅ मेरी..दुलहन के लिबास मे सजनेे के लिए खुद को मेरी

पनाहो मे ले आ...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...