Monday 22 August 2016

महजबीॅॅ होने के लिए..तेरे साथ तेरा होने के लिए...जरूरी तो नही कि रब से तुझे माॅगा

जाए---शिकवो का दौर चलाने के लिए..तेरे इॅतजाऱ मे रात भर जगने के लिए...जरूरी

तो नही कि सात फेरो का साथ माॅगा जाए---तुझे हर पल देेखने के लिए..रूखसती के

खयाल सेे जब दम घुटने लगेे..आॅखे बार बार भरने लगे...तो भी यह जरूरी तो नही कि

तुझ सेे तुझी को ही माॅॅग लिया जाए---

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...