सूखे फूलो को जो देखा..पाक मुहबबत का वो जमाना याद आया--छोटी छोटी खुशियो मे
जिॅदगी जीने का वो दीवानापन याद आया--कभी रूठना तेरा..कभी मचलना मेरा....फिर
बेबाकी से खुल कर हॅसना...कयू उन पलो को पलको पेे सजाना आज याद आया--यादो
के झरोखो से जो मन को टटोला..तेरा मासूम सा नूरानी चेहरा इबादत मे कयू नजर
आया----
जिॅदगी जीने का वो दीवानापन याद आया--कभी रूठना तेरा..कभी मचलना मेरा....फिर
बेबाकी से खुल कर हॅसना...कयू उन पलो को पलको पेे सजाना आज याद आया--यादो
के झरोखो से जो मन को टटोला..तेरा मासूम सा नूरानी चेहरा इबादत मे कयू नजर
आया----