Thursday 18 August 2016

सूखे फूलो को जो देखा..पाक मुहबबत का वो जमाना याद आया--छोटी छोटी खुशियो मे

जिॅदगी जीने का वो दीवानापन याद आया--कभी रूठना तेरा..कभी मचलना मेरा....फिर

बेबाकी से खुल कर हॅसना...कयू उन पलो को पलको पेे सजाना आज याद आया--यादो

के झरोखो से जो मन को टटोला..तेरा मासूम सा नूरानी चेहरा इबादत मे कयू नजर

आया----

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...