मैै मुहबबत हू तेरी..तेरी वफाओ का सिला--मेरे नूरानी चेहरे मे बसी है तेरी किसमत की
ऱजा--तू चाहे मुुझे यह होगी तेरी मासूम अदा...मै चाहू तुझे तो मिले गी मुुझे खुदा के
रहमत की वजह--मुहबबत पाक है गर..तेरी भी और मेरी भी....तो इबादत की रसमो मे
जुडे गी किसमत मेरी भी और तेेेरी भी----
ऱजा--तू चाहे मुुझे यह होगी तेरी मासूम अदा...मै चाहू तुझे तो मिले गी मुुझे खुदा के
रहमत की वजह--मुहबबत पाक है गर..तेरी भी और मेरी भी....तो इबादत की रसमो मे
जुडे गी किसमत मेरी भी और तेेेरी भी----