Friday, 26 December 2014

मुददत बाद उस का मिलना,हमे दीवाना कर गया..वो हलकी सी खलिश तेरे पयार की,

वो मुहबबत का जनून मेरे हिसाब का..कया कहे..सब बेजुबान कर गया..कहने को बहुत

कुछ था,पर निगाहे-इशक ने सब कमाल कर दिया...वो पहलू मे बैठे थे हमारे,पर हम....

खुद के सितम से जखमे-बेहाल हो गए....

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...