तमनना जिस की,की थी बहुत शिददत से..उसी को आज अपनी मरजी से खो दिया
हम ने..खुशियाॅ दसतक दे रही थी दर पे हमारे,पर हम ने खुद ही वो दरवाजा बनद कर
दिया..बरस रहे है आॅसू आज झरने की तरह,याद आ रही है उस की खवाबो की तरह..
समझ नही पा रहे,कयूॅ किया हम ने ऐसा..शायद इसी मे उस का भला था,यही सोच कर
हम ने अपनी खुशियो को कुरबान कर दिया..
हम ने..खुशियाॅ दसतक दे रही थी दर पे हमारे,पर हम ने खुद ही वो दरवाजा बनद कर
दिया..बरस रहे है आॅसू आज झरने की तरह,याद आ रही है उस की खवाबो की तरह..
समझ नही पा रहे,कयूॅ किया हम ने ऐसा..शायद इसी मे उस का भला था,यही सोच कर
हम ने अपनी खुशियो को कुरबान कर दिया..