Thursday 11 December 2014

तमनना जिस की,की थी बहुत शिददत से..उसी को आज अपनी मरजी से खो दिया

हम ने..खुशियाॅ दसतक दे रही थी दर पे हमारे,पर हम ने खुद ही वो दरवाजा बनद कर

दिया..बरस रहे है आॅसू आज झरने की तरह,याद आ रही है उस की खवाबो की तरह..

समझ नही पा रहे,कयूॅ किया हम ने ऐसा..शायद इसी मे उस का भला था,यही सोच कर

हम ने अपनी खुशियो को कुरबान कर दिया..

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...