वो थामे थे अपने हाथो मे दौलत के अमबार..लुटाना चाहते थे हम पे ऐशो आराम के
अधिकार..हम हॅस दिए उन पे,कया करे पा कर हम यह अधिकाऱ..जो चाहा हम ने वो
ही दे ना सके तुम..इक पयार का लमहा,जिस को पाने के लिए सह गए हम कितने ही
सितम..तुम कमाते रहे दौलत..और हम अपनी हसरतो को गिनते ही रहे.........
अधिकार..हम हॅस दिए उन पे,कया करे पा कर हम यह अधिकाऱ..जो चाहा हम ने वो
ही दे ना सके तुम..इक पयार का लमहा,जिस को पाने के लिए सह गए हम कितने ही
सितम..तुम कमाते रहे दौलत..और हम अपनी हसरतो को गिनते ही रहे.........