Tuesday, 23 December 2014

वो थामे थे अपने हाथो मे दौलत के अमबार..लुटाना चाहते थे हम पे ऐशो आराम के

अधिकार..हम हॅस दिए उन पे,कया करे पा कर हम यह अधिकाऱ..जो चाहा हम ने   वो

ही दे ना सके तुम..इक पयार का लमहा,जिस को पाने के लिए सह गए हम कितने ही

सितम..तुम कमाते रहे दौलत..और हम अपनी हसरतो को गिनते ही रहे.........

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...