एक कोशिश कर रहै है,जिनदगी को फिर सेे जीने की..
जो दरद मिले उन को भूूल कर,खुद मे खुद को समाने की..
यकीन खुद पे है इतना,कि निकल जाए गेेे उन झमेलो से...
पर यह नही भूल पाए गेेे,कि गुनाहगार बना दिया खुद अपनो ने..
जो दरद मिले उन को भूूल कर,खुद मे खुद को समाने की..
यकीन खुद पे है इतना,कि निकल जाए गेेे उन झमेलो से...
पर यह नही भूल पाए गेेे,कि गुनाहगार बना दिया खुद अपनो ने..