Wednesday 3 October 2018

तुम्हे गुज़रे ज़माना बीत गया माँ..यह दुनिया कहती है....कही किसी की यादो मे हो,कही किसी के

खवाबो मे हो...बेशक साथ नहीं पाया तेरा माँ,एक लम्बे अरसे तक..पर जितना भी पाया,तेरी बातो से

तुझ को इतना जाना कि तेरे गुस्से मे भी तेरी ममता को मैंने पाया...तेरी हर कही नसीहत आज भी

अपने पल्लू से बांधे हू...लोग कहते है कि मै दकियानूसी हू...पर माँ,तेरी सारी नसीहते अगर आज

भी दकियानूसी है,तो मै आज भी खुशकिस्मत हू,कि तुम मेरी माँ हो...तुम साथ आज भी हो,हर जनम

साथ ही रहना...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...