दर्द को छेड़ो गे तो वो ज़ख़्मी और हो जाए गा...रोने की वजह पूछो गे बरबस यह दिल और बरस जाए
गा...रातो के अंधेरो मे यह सिसकियां,तेज़ गहराया जाती है...तुझे याद कर के यह सारे ज़हान को ही
भूल जाया करती है....क्या कमी रह गई जो बादलों की गड़गड़ाहट से,आज भी डर जाया करते है....
बारिश की हल्की हल्की बूंदे..जब जब ठहरती है चेहरे पे...हम क्यों उदास हो जाया करते है...
गा...रातो के अंधेरो मे यह सिसकियां,तेज़ गहराया जाती है...तुझे याद कर के यह सारे ज़हान को ही
भूल जाया करती है....क्या कमी रह गई जो बादलों की गड़गड़ाहट से,आज भी डर जाया करते है....
बारिश की हल्की हल्की बूंदे..जब जब ठहरती है चेहरे पे...हम क्यों उदास हो जाया करते है...