Sunday 5 February 2017

वो चिंगारी तेरी मुहब्बत की,सुलग रही है आज भी सीने मे मेरे---हल्का हल्का सा नशा,वो खोई सी

नज़र, कही आज भी है उस का असर---खुद को देखते है जब जब आईने मे,तेरी ही सूरत का अक्स

दिखता है---हाथ उठते है जब भी तुझे दुआ देने के लिए,खुदा से अपनी सांसो का सौदा भी कर लेते

है---सुबह की इस अंगड़ाई मे,तेरे मासूम सूरत पे ग़ज़ल लिखते है---कोई कुछ भी कहे,लिखते लिखते

आंसू बहते है आज भी मेरे---

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...