वो चिंगारी तेरी मुहब्बत की,सुलग रही है आज भी सीने मे मेरे---हल्का हल्का सा नशा,वो खोई सी
नज़र, कही आज भी है उस का असर---खुद को देखते है जब जब आईने मे,तेरी ही सूरत का अक्स
दिखता है---हाथ उठते है जब भी तुझे दुआ देने के लिए,खुदा से अपनी सांसो का सौदा भी कर लेते
है---सुबह की इस अंगड़ाई मे,तेरे मासूम सूरत पे ग़ज़ल लिखते है---कोई कुछ भी कहे,लिखते लिखते
आंसू बहते है आज भी मेरे---
नज़र, कही आज भी है उस का असर---खुद को देखते है जब जब आईने मे,तेरी ही सूरत का अक्स
दिखता है---हाथ उठते है जब भी तुझे दुआ देने के लिए,खुदा से अपनी सांसो का सौदा भी कर लेते
है---सुबह की इस अंगड़ाई मे,तेरे मासूम सूरत पे ग़ज़ल लिखते है---कोई कुछ भी कहे,लिखते लिखते
आंसू बहते है आज भी मेरे---