मुड़ के जो पीछे देखा राहे बंद थी..आगे बढे तो बहुत अँधेरा था--गहन सा अँधेरा और बेख़ौफ से हम
तुम साथ नहीं थे,कोई साथ नहीं था..नज़रे जो कभी उठी थी हम को प्यार देने के लिए..तेरे जाने के बाद
बदल गई वो तमाम नज़रे खफा होने के लिए--कसूर सिर्फ था इतना कि तेरा साथ छूटा था,ग़ुरबत क़ी
राहों मे दुनिया का साथ भी छूटा था---समझ आया क़ि खता ना हो तो भी सजा मिलती है--देख तेरे जाने
के बाद ज़िन्दगी कितनी ही बदली है---
तुम साथ नहीं थे,कोई साथ नहीं था..नज़रे जो कभी उठी थी हम को प्यार देने के लिए..तेरे जाने के बाद
बदल गई वो तमाम नज़रे खफा होने के लिए--कसूर सिर्फ था इतना कि तेरा साथ छूटा था,ग़ुरबत क़ी
राहों मे दुनिया का साथ भी छूटा था---समझ आया क़ि खता ना हो तो भी सजा मिलती है--देख तेरे जाने
के बाद ज़िन्दगी कितनी ही बदली है---